प्रेषक-मनोज जैसवाल-पूर्व संचार मंत्री ए राजा तथा दो अधिकारियों को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया। इन लोगों पर 2जी मोबाइल फोन सेवाओं के लिए लाइसेंस व स्पेक्ट्रम आवंटन में धांधली का आरोप है।
राजा और दो अधिकारियों को ऐसे समय गिरफ्तार किया गया है, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अगले सप्ताह उच्चतम न्यायालय में मामले की जांच की प्रगति के बारे में अंतिम रिपोर्ट देने वाली है।
राजा के साथ 1973 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और 1984 बैच के भारतीय आर्थिक सेवा के अधिकारी आर के चंदोलिया को भी गिरफ्तार किया गया है। पूर्व नौकरशाह बेहुरा 2008 में दूरसंचार सचिव थे जब लाइसेंस देने का विवादास्पद फैसला किया गया। इन सभी को बुधवार सुबह सबीआई मुख्यालय बुलाया गया था।
सीबीआई के संक्षिप्त बयान के मुताबिक, आशय पत्र और यूनिफाइड एक्ससे सर्विसेज लाइसेंस (एकीकृत सेवा लाइसेंस) आवंटन मामले की जांच के दौरान अब तक जो भी तथ्य सामने आए हैं, उसके आधार पर तत्कालीन दूरसंचार मंत्री, तत्कालीन सचिव और मंत्री के तत्कालीन निजी सचिव को गिरफ्तार किया गया है।
सीबीआई ने इस बारे में दूरसंचार विभाग अज्ञात अधिकारियों, कुछ लोगों तथा फमो के खिलाफ कतिपय कंपनियों को लाभ देने के लिए पद का दुरुपयोग तथा साजिश के आरोप में मामला दर्ज किया था।
47 वर्षीय राजा के मंत्री पद से इस्तीफा देने के दो महीने बाद गिरफ्तार किया गया है। वह कांग्रेस के प्रमुख सहयोगी द्रमुक के दलित चेहरे के रूप में चर्चित हैं।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में 2007-08 में स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर सरकार को हुए 1.76 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान की बात के खुलासे के बाद संसद में हुए हंगामे और सरकार पर बने दबाव के बाद राजा को इस्तीफा देना पड़ा था।
इस मामले के कारण संसद के शीतकालीन सत्र में कोई कामकाज नहीं हो सका। विपक्षी दल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच की मांग पर अड़े हैं। जब तक मामले का हल नहीं हो जाता, आगामी बजट सत्र को सुचारू तरीके से चलाने में भी सरकार को कठिनाई आ सकती है।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि राजा को गिरफ्तार करने का फैसला उनसे पूछताछ के आधार पर किया गया। पूछताछ में पूर्व मंत्री के 2007 और 2008 के बीच कुछ वित्तीय सौदों के बारे में पता चला है।
पेशे से वकील और पांच बार सांसद चुने गए राजा को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में 2007-08 में स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर सरकार को हुए 1.76 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान की बात के खुलासे के बाद संसद में हुए हंगामे और सरकार पर बने दबाव के बाद राजा को इस्तीफा देना पड़ा था।
तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि के बीच दोनों दलों के गठबंधन को मजबूत करने के लिए हुई बातचीत के दो दिन बाद यह गिरफ्तारी हुई है।
दोनों दलों ने राजा की गिरफ्तार से राजनीतिग गठबंधन पर किसी प्रकार का असर पड़ने की बात से इनकार किया है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कानून अपना काम कर रहा है और राजनीतिक गठबंधन से इसका कुछ भी लेना-देना नहीं है।
बहरहाल, विपक्षी दल सीबीआई के इस कदम से खुश नहीं हैं। भाजपा का कहना है कि, बहुत कम और देर से की गई कार्रवाई है। भाजपा के नेतृत्व वाला राजग घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग पर अड़ा है।
द्रमुक की प्रतिद्वंद्वी अन्नाद्रमुक ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कपंनियों के लिए जनसंपर्क काम करने वाली नीरा राडिया और उसके साथ बातचीत करने वाले करुणानिधि के परिजनों को गिरफ्तार करने की मांग की है।
सीबीआई ने अक्टूबर 2009 में दूरसंचार विभाग के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था तथा मंत्रालय में जांच की थी, लेकिन राजा के इस्तीफे के बाद ही उन पर जांच एजेंसी का फोकस हुआ। इससे पूर्व सीबीआई राजा से तीन बार पूछताछ कर चुकी थी।
अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में 22000 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही है। जांच एजेंसी ने केंद्रीय सतर्कता आयोग से प्राप्त तथ्यों के आधार पर इतने नुकसान का जिक्र किया है। सीवीसी ने ही यह मामला सीबीआई को जांच के लिए सौंपा है।
राजा के राष्ट्रीय राजधानी और तमिलनाडु के पेरांबुर स्थित आवास पर छापे मारे गए। इसके अलावा उनके कई संबंधियों और सहयोगियों के यहां भी तलाशी ली गई।
राजा और उसके सहयोगियों पर स्पेक्ट्रम आवंटन में कुछ दूरसंचार कंपनियों को बेजा लाभ पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने और आवेदन देने की अंतिम तिथि को पीछे खिसकाकर निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी करने, लाइसेंस लेने वाले से एक सप्ताह के भीतर शुल्क जमा करने तथा कुछ कंपनियों को लाइसेंस के मामले में लाभ पहुंचाने के इरादे से मनमाने आधार पर पहले-आओ पहले-पाओ के सिद्धांत को लागू करने का आरोप है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राजा से अक्टूबर 2007 से जनवरी 2008 के बीच स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियों के संगठनों में कथित तौर पर पूंजी लगाने के बारे में पूछताछ की गई है। सूत्रों के मुताबिक, राजा से कुछ सवाल पूछे गए और उन्हें उनके परिसर से जब्त कंप्यूटरों से प्राप्त दस्तावेज दिखाए गए।
इसके अलावा उनसे कंपनियों के लिए जनसंपर्क करने वाली नीरा राडिया के साथ बातचीत के बारे में भी सवाल पूछे गए। उनसे यह भी पूछा गया कि 2007 में स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आवेदन देने की आखिरी तारीख पीछे क्यों खिसकाई गई। राजा ने 18 मई 2007 को दूरसंचार विभाग की जिम्मेदारी संभाली और 15वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने जाने के बाद वह 31 मई 2009 से 14 नवंबर 2010 तक इस पद पर रहे।
उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के बारे में 10 फरवरी तक स्थिति रिपोर्ट देने को कहा है। उस दिन मामले की अगली सुनवाई होनी है।
सीबीआई ने जांच के सिलसिले में भारती दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के पूर्व प्रमुख 1966 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी प्रदीप बैजल और दूरसंचार विभाग में पूर्व सचिव डीएस माथुर से भी पूछताछ की है।
टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में कुछ मुख्य घटनाक्रम-
17 अक्टूबर 2010: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दूसरी पीढ़ी के मोबाइल फोन का लाइसेंस देने में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया।
नवंबर 2010: दूरसंचार मंत्री ए राजा को हटाने की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्यवाही ठप्प की।
14 नवम्बर 2010: राजा ने इस्तीफा दिया।
24 और 25 दिसम्बर 2010: राजा से सीबीआई ने पूछताछ की।
31 जनवरी 2011: राजा से सीबीआई ने तीसरी बार फिर पूछताछ की। एक सदस्यीय पाटिल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।
2 फरवरी 2011: टू जी स्पेक्ट्रम मामले में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आरके चंदोलिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
manojjaiswalobt@gmail.com
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