बेबी जैसवाल-सीवीसी पद पर पीजे थॉमस की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा संसद में अपनी गलती मानते हुए क्षमायाचना करना एक स्वस्थ कदम है। लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने भी उनकी इस पहल को सही ढंग से लिया और कहा कि इस मसले को वे अब और आगे नहीं बढ़ाना चाहतीं। लेकिन बाकी देश डॉ. मनमोहन सिंह की क्षमायाचना को किस तरह लेगा, यह अभी तय नहीं है।
लोगों में सरकार और प्रधानमंत्री को लेकर एक धारणा बन गई है कि वे अपनी गलतियों का अंत-अंत तक बचाव करते हैं। फिर पूरी तरह घिर जाने के बाद ही या तो उनके खिलाफ कोई कदम उठाते हैं, या किसी और ढंग से मामले पर मिट्टी डालने की कोशिश करते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री को आने वाले दिनों में यह साबित करना होगा कि उनकी क्षमायाचना किसी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा नहीं है और इसको लेकर वे वाकई गंभीर हैं।
इसके लिए उन्हें कुछ बहुत ज्यादा करने की जरूरत नहीं है। पिछले दो-तीन महीनों में सरकार ने भ्रष्ट मंत्रियों और नौकरशाहों के खिलाफ जो पहलकदमियां ली हैं, उन्हें ही वह अपने बचे हुए तीन साल तीन महीनों में भी जारी रखे तो यह न सिर्फ उसकी छवि के लिए अच्छा होगा, बल्कि भ्रष्टाचार का कैंसर सत्ता के सभी पायदानों तक फैल जाने की खबरों से व्यवस्था के प्रति जो लोगों का आत्मविश्वास बुरी तरह हिल गया है, वह भी कुछ हद तक ठिकाने पर आ जाएगा।
पिछले कुछ ही महीनों में इस देश ने क्या-क्या दिन देख लिए हैं! आसमानी आंकड़ों वाले स्पेक्ट्रम घोटाले में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री तिहाड़ जेल में पड़ा है। कॉमनवेल्थ खेलों के लिए जिम्मेदार दो आला अफसर भी वहां उसका साथ दे रहे हैं। उनकी सरपरस्ती करने वाला केंद्रीय मंत्री के स्तर का एक अन्य नेता कभी भी उनकी सोहबत में पहुंच सकता है। शहीद सैनिकों के नाम पर बनी एक सोसाइटी के घोटाले में सत्तापक्ष से जुड़े एक मुख्यमंत्री को अपने पॉलिटिकल करियर के बीच में ही रिटायर होना पड़ा है, जबकि विपक्ष से जुड़ा लगभग उसी स्तर के भूमि घोटाले में शामिल एक अन्य मुख्यमंत्री आज भी अपने पद पर कायम है।
पूर्व थल सेनाध्यक्ष और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तक को जमीन, फ्लैट और दूसरे घोटालों के आरोपों में घिरा हुआ पाया गया है। भ्रष्टाचार पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार देश के सबसे ऊंचे पद पर बैठे अफसर को खुद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हटना पड़ा है। हालांकि पद छोड़ने के लिए वह आज भी तैयार नहीं है, फैसले की समीक्षा के लिए अर्जी लगाने की बात कर रहा है। यह काजल की कोठरी क्या प्रधानमंत्री की क्षमायाचना के बाद साफ-सुथरी नजर आने लगेगी?
करप्शन की खबरों से बुरी तरह पक गए लोगों को राहत अब ठोस कार्रवाई से ही मिल सकती है और इस कोशिश में अगर किसी को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ती है, तो उसे इज्जत से याद किया जाएगा।
babyjaiswalooo@gmail.com लोगों में सरकार और प्रधानमंत्री को लेकर एक धारणा बन गई है कि वे अपनी गलतियों का अंत-अंत तक बचाव करते हैं। फिर पूरी तरह घिर जाने के बाद ही या तो उनके खिलाफ कोई कदम उठाते हैं, या किसी और ढंग से मामले पर मिट्टी डालने की कोशिश करते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री को आने वाले दिनों में यह साबित करना होगा कि उनकी क्षमायाचना किसी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा नहीं है और इसको लेकर वे वाकई गंभीर हैं।
इसके लिए उन्हें कुछ बहुत ज्यादा करने की जरूरत नहीं है। पिछले दो-तीन महीनों में सरकार ने भ्रष्ट मंत्रियों और नौकरशाहों के खिलाफ जो पहलकदमियां ली हैं, उन्हें ही वह अपने बचे हुए तीन साल तीन महीनों में भी जारी रखे तो यह न सिर्फ उसकी छवि के लिए अच्छा होगा, बल्कि भ्रष्टाचार का कैंसर सत्ता के सभी पायदानों तक फैल जाने की खबरों से व्यवस्था के प्रति जो लोगों का आत्मविश्वास बुरी तरह हिल गया है, वह भी कुछ हद तक ठिकाने पर आ जाएगा।
पिछले कुछ ही महीनों में इस देश ने क्या-क्या दिन देख लिए हैं! आसमानी आंकड़ों वाले स्पेक्ट्रम घोटाले में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री तिहाड़ जेल में पड़ा है। कॉमनवेल्थ खेलों के लिए जिम्मेदार दो आला अफसर भी वहां उसका साथ दे रहे हैं। उनकी सरपरस्ती करने वाला केंद्रीय मंत्री के स्तर का एक अन्य नेता कभी भी उनकी सोहबत में पहुंच सकता है। शहीद सैनिकों के नाम पर बनी एक सोसाइटी के घोटाले में सत्तापक्ष से जुड़े एक मुख्यमंत्री को अपने पॉलिटिकल करियर के बीच में ही रिटायर होना पड़ा है, जबकि विपक्ष से जुड़ा लगभग उसी स्तर के भूमि घोटाले में शामिल एक अन्य मुख्यमंत्री आज भी अपने पद पर कायम है।
पूर्व थल सेनाध्यक्ष और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तक को जमीन, फ्लैट और दूसरे घोटालों के आरोपों में घिरा हुआ पाया गया है। भ्रष्टाचार पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार देश के सबसे ऊंचे पद पर बैठे अफसर को खुद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हटना पड़ा है। हालांकि पद छोड़ने के लिए वह आज भी तैयार नहीं है, फैसले की समीक्षा के लिए अर्जी लगाने की बात कर रहा है। यह काजल की कोठरी क्या प्रधानमंत्री की क्षमायाचना के बाद साफ-सुथरी नजर आने लगेगी?
करप्शन की खबरों से बुरी तरह पक गए लोगों को राहत अब ठोस कार्रवाई से ही मिल सकती है और इस कोशिश में अगर किसी को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ती है, तो उसे इज्जत से याद किया जाएगा।
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